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Crop Pest Haryana

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About Crop Pest Haryana

टमाटर, करेला, लोकी, खीरा, बंदगोभी, फूलगोभी और कीन्नो महत्वपूर्ण बागवानी फसलें हैं जो हरियाणा में व्यापक रूप से उगाई जाती हैं जोकि कई तरह के कीट व रोगों से प्रभावित होती है। ये किट व रोग फसलों की उपज को प्रमुख रूप से हानि पहुंचाते है। कीटनाशकों के नियमित छिड़काव के बावजूद, इन कीटों से 30 से 40% तक उपज का नुकसान होता है। कीटों के कारण होने वाले नुकसान को कम करने के लिए, किसानों द्वारा इन फसलों में में भारी मात्रा में कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है। एक प्रभावी वैकल्पिक विधि की अनुपस्थिति में, किसान कीट व रोगों के नियंत्रण के लिए रसायनों पर निर्भर रहते हैं जो न केवल पर्यावरण को खराब करते हैं बल्कि फलों में कीटनाशक अवशेषों की उपस्थिति के कारण मानव स्वास्थ्य को भी प्रभावित करते हैं। रासायनिक आधारित कीट नियंत्रण के लिए सर्वश्रेष्ठ विकल्प समेकित नाशीजीव प्रबंधन (आइ.पी.एम) प्रौद्योगिकी है। आइ.पी.एम पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित कीट नियंत्रण रणनीतियों का मिश्रण है जोकि कीटनाशक के उपयोग को कम करने में मदद करती है तथा पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को भी बचाती है। आइ.पी.एम गहन ज्ञान आधारित प्रौद्योगिकी है जो उचित निर्णय लेने पर जोर देती है व कार्यान्वयन हेतू सूचना और ज्ञान की सही व समय पर उपलब्धता पर निर्भर करती है। विस्तार कार्यकर्ता और किसान कीट प्रबंधन जानकारी अथवा ज्ञान के लिए ज़्यादातर पौध-संरक्षण विशेषज्ञों पर निर्भर करते हैं। परंतु दुर्भाग्यवश, जरूरत के समय विशेषज्ञ परामर्श के लिए उपलब्ध नहीं होते हैं।

पिछले एक दशक में, मोबाइल तकनीक देश में सूचना और सेवाओं को प्रसारित करने का सबसे आम तरीका बन गई है। तत्काल जानकारी और सेवा वितरण के लिए मोबाइल एप्लिकेशन सबसे आसान और किफायती जरिया बन गये हैं। अत: कीट वी रोग प्रबंधन में मोबाइल का प्रयोग लाखों किसानों को समय पर सही जानकारी उपलब्ध करने का सबसे किफायती साधन हो सकता है। इसलिए, आई.सी.ए.आर.-एन.सी.आई.पी.एम., नई दिल्ली ने बागवानी निदेशालय, हरियाणा के साथ मिलकर राज्य के विस्तार कार्यकर्ताओं और किसानों की समेकित नाशीजीव प्रबंधन की सही सूचना व ज्ञान की जरूरतों को पूरा करने के लिए, उपरोक्त फसलों के लिए क्रोप्पेस्ट नाम के इस ऐप को विकास किया है।

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