सभी का स्वागत है
मित्रों!!!
प्ले स्टोर पर आप सभी कवि मित्रों और साहित्य प्रेमियों का बहुत-बहुत स्वागत है।आज हिंदी साहित्य में किताबों और पत्र-पत्रिकाओं की भूमिका किसी से छिपी नहीं है,किताब कोई छापने को तैयार नहीं है,अगर छपवा का बटवा दे तो कोई पढ़ने को तैयार नहीं है,हिंदी साहित्य की किताबें केवल अलमारी की शोभा मात्र बनकर रह गई हैं,साहित्यिक पत्र पत्रिकाएं बेचारी वित्तीय संकट से जूझते हुए मर मर कर जी रही हैं।
समाचार पत्रों ने तो हिंदी साहित्य से अपना नाता ही तोड़ लिया है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर हिंदी साहित्य का क्या होगा ? इन्हीं सब बातों पर विचार विमर्श के बाद हमने हिंदी साहित्य और साहित्य मनीषियों को स्थापित करके उन्हें विश्व स्तर पर पहचान दिलाने के उद्देश्य से "काव्य गंगा"को बदली हुई तकनीकी यानी इंटरनेट पर डालने का फैसला किया है। न्यूज़ पेपर की उम्र 2 घंटे होती है,किताब का अपना सीमित क्षेत्र होता है,परंतु मोबाइल एप्स ऑल वर्ल्ड लाइफ चलता है, एप्स के माध्यम से साहित्य और साहित्यकार विश्व पटल पर सारी उम्र के लिए स्थापित हो जाएगा। सभी से आग्रह है मोबाइल एप्स काव्य गंगा' को डाउनलोड करें, पहले पढ़ें और फिर फेसबुक टि्वटर व्हाट्सएप आदि सोशल मंचों पर शेयर करें,अपने मित्रों को डाउनलोड करने की सलाह दें।इस तरह हिंदी साहित्य विश्व मंच पर स्थापित हो सकेगा और आप सभी को एक नई पहचान प्राप्त हो सकेगी। इन्हीं सब शुभकामनाओं के साथ मैं यह आग्रह करूंगा कि जिन साहित्य मनीषियों की रचनाएं "काव्य गंगा" में समाहित नहीं हो सकी हैं वह प्रधान संपादक विजय मिश्र को मोबाइल करें नंबर है
6260201191
रचनाकारो से आग्रह
नवोदित और स्थापित सभी सरस्वती पुत्रों को "काव्य गंगा" की ओर से यथोचित स्वागत है। आभार है । बहुत बहुत प्यार है। वैसे मैं नवोदित और स्थापित के पचड़े में कभी नहीं पडता। जिसकी रचना समाज को कुछ नहीं दे सकती वही नवोदित है। और जिसकी रचना समाज को शिक्षा दे पाए, समाज का मार्ग प्रशस्त कर पाए वही रचनाकार स्थापित रचनाकार है । आपने मेरे आयोजन संयोजन और संपादन पर विश्वास जताया , आप मेरे इस भागीरथी प्रयास में शामिल हुए यही मेरे लिए सबसे बड़ी पूंजी है। आप सब के सहयोग से आज काव्य गंगा "ऑल लाइफ ऑल वर्ल्ड"के लिए प्ले स्टोर पर स्थापित है। मैंने अपना दायित्व निभाया अब आपकी बारी है। सभी समाहित कवियों से आग्रह है कि "काव्य गंगा" में समाहित एक कवि को रोज पढ़ें और उस पेज को फेसबुक पर शेयर करें। इसमें आम के आम और गुठलियों के दाम भी हैं। एक तो यह कि हम और आप जितना पढेगें हमारी रचनाओं में उतनी ही परिपक्वता आएगी। दूजा यह की हम सभी की सभी रचनाएं शेयर करेंगे तो एक_एक कवि सैकड़ों हजारों बार शेयर होगा। इससे ही "काव्य गंगा" अपने लक्ष्य तक पहुंच सकेगी। एप्स में समाहित हम सभी कवि मां सरस्वती के पुत्र हैं अतः हम सब भाई-भाई हुए, हम सब भाई भाई सभी की रचनाएं पढ़ें और शेयर करें। तब देखें कि हम सभी कवि विश्व पटल पर कैसी पहचान बनाते हैं।। जो कवि कभी किन्ही कारणों से काव्य गंगा में समाहित नहीं हो पाए हैं। वह निराश ना हो कृपया प्रधान संपादक विजय कुमार मिश्र को फोन लगाएं मोबाइल
6260201191
हम आपके साथ थे,हम आपके साथ हैं,और सदैव आपके साथ रहकर अपने कवि दायित्वों को पूरा करेंगे।
आपका अपना ही
प्रधान संपादक
'काव्य गंगा'
विजय कुमार मिश्र
302 पोडी कला गोसलपुर सिहोरा जबलपुर 483222 (मप्र)
मोबा 6260201191
मित्रों!!!
प्ले स्टोर पर आप सभी कवि मित्रों और साहित्य प्रेमियों का बहुत-बहुत स्वागत है।आज हिंदी साहित्य में किताबों और पत्र-पत्रिकाओं की भूमिका किसी से छिपी नहीं है,किताब कोई छापने को तैयार नहीं है,अगर छपवा का बटवा दे तो कोई पढ़ने को तैयार नहीं है,हिंदी साहित्य की किताबें केवल अलमारी की शोभा मात्र बनकर रह गई हैं,साहित्यिक पत्र पत्रिकाएं बेचारी वित्तीय संकट से जूझते हुए मर मर कर जी रही हैं।
समाचार पत्रों ने तो हिंदी साहित्य से अपना नाता ही तोड़ लिया है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर हिंदी साहित्य का क्या होगा ? इन्हीं सब बातों पर विचार विमर्श के बाद हमने हिंदी साहित्य और साहित्य मनीषियों को स्थापित करके उन्हें विश्व स्तर पर पहचान दिलाने के उद्देश्य से "काव्य गंगा"को बदली हुई तकनीकी यानी इंटरनेट पर डालने का फैसला किया है। न्यूज़ पेपर की उम्र 2 घंटे होती है,किताब का अपना सीमित क्षेत्र होता है,परंतु मोबाइल एप्स ऑल वर्ल्ड लाइफ चलता है, एप्स के माध्यम से साहित्य और साहित्यकार विश्व पटल पर सारी उम्र के लिए स्थापित हो जाएगा। सभी से आग्रह है मोबाइल एप्स काव्य गंगा' को डाउनलोड करें, पहले पढ़ें और फिर फेसबुक टि्वटर व्हाट्सएप आदि सोशल मंचों पर शेयर करें,अपने मित्रों को डाउनलोड करने की सलाह दें।इस तरह हिंदी साहित्य विश्व मंच पर स्थापित हो सकेगा और आप सभी को एक नई पहचान प्राप्त हो सकेगी। इन्हीं सब शुभकामनाओं के साथ मैं यह आग्रह करूंगा कि जिन साहित्य मनीषियों की रचनाएं "काव्य गंगा" में समाहित नहीं हो सकी हैं वह प्रधान संपादक विजय मिश्र को मोबाइल करें नंबर है
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रचनाकारो से आग्रह
नवोदित और स्थापित सभी सरस्वती पुत्रों को "काव्य गंगा" की ओर से यथोचित स्वागत है। आभार है । बहुत बहुत प्यार है। वैसे मैं नवोदित और स्थापित के पचड़े में कभी नहीं पडता। जिसकी रचना समाज को कुछ नहीं दे सकती वही नवोदित है। और जिसकी रचना समाज को शिक्षा दे पाए, समाज का मार्ग प्रशस्त कर पाए वही रचनाकार स्थापित रचनाकार है । आपने मेरे आयोजन संयोजन और संपादन पर विश्वास जताया , आप मेरे इस भागीरथी प्रयास में शामिल हुए यही मेरे लिए सबसे बड़ी पूंजी है। आप सब के सहयोग से आज काव्य गंगा "ऑल लाइफ ऑल वर्ल्ड"के लिए प्ले स्टोर पर स्थापित है। मैंने अपना दायित्व निभाया अब आपकी बारी है। सभी समाहित कवियों से आग्रह है कि "काव्य गंगा" में समाहित एक कवि को रोज पढ़ें और उस पेज को फेसबुक पर शेयर करें। इसमें आम के आम और गुठलियों के दाम भी हैं। एक तो यह कि हम और आप जितना पढेगें हमारी रचनाओं में उतनी ही परिपक्वता आएगी। दूजा यह की हम सभी की सभी रचनाएं शेयर करेंगे तो एक_एक कवि सैकड़ों हजारों बार शेयर होगा। इससे ही "काव्य गंगा" अपने लक्ष्य तक पहुंच सकेगी। एप्स में समाहित हम सभी कवि मां सरस्वती के पुत्र हैं अतः हम सब भाई-भाई हुए, हम सब भाई भाई सभी की रचनाएं पढ़ें और शेयर करें। तब देखें कि हम सभी कवि विश्व पटल पर कैसी पहचान बनाते हैं।। जो कवि कभी किन्ही कारणों से काव्य गंगा में समाहित नहीं हो पाए हैं। वह निराश ना हो कृपया प्रधान संपादक विजय कुमार मिश्र को फोन लगाएं मोबाइल
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