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तृतीय रत्न - Tritiya Ratna

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About तृतीय रत्न - Tritiya Ratna

Tritiya Ratna is a free book app and it will always be free. This book written by Jyotiba Phule in 1855. Tritiya Ratna is the first literary book by Jyotiba Phule and it is exposed to Brahminism in India.

Tritiya Ratna written by Jyotiba Phule in in 1855.
Gulamgiri written in 1873 by Jyotiba Phule. and these are best books of Jyotiba phule. and I think you must read these books of Jyotiba phule to know brahminism and castinism in India.

आधुनिक भारतीय साहित्य के पितामह जोतीराव फुले की प्रथम साहित्यक कृति ‘तृतीय रत्न’ नाटिका एक कालजयी रचना है। सन् 1855 में लिखित ‘तृतीय रत्न’ पाँच अंको में निबद्ध एक लघु नाटिका है। बड़े ही रोचक शैली में उन्होंने ब्राह्मणवाद का भांडाफोड़ करते हुए ब्राह्मणों द्वारा प्रतिपादित मिथ्या एवं प्रपंचपूर्ण कथानकों का खंडन किया है ।समाज में प्रचलित झूठी धारणाओं, धार्मिक पाखंडो तथा अंधविश्वासों के जरिये ब्राह्मण पुरोहित किस प्रकार भोले-भाले अशिक्षित किसानों को किस प्रकार लूटते और ठगते हैं । इसकी स्पष्ट झाँकी हम ‘तृतीय रत्न’ में देख सकते हैं। इस नाटक के द्वारा वे अपने युग, आज के समय और भविष्य तक के यथार्थ को कहीं मार्मिक-शैली, कहीं हास्य-व्यंग्य शैली और कहीं विसंगतियों को समूल नष्ट करने के लिए विध्वंसात्मक शैली का प्रयोग करते हैं । जीवन के विविध क्षेत्रों से सामग्री समाहित कर जोतीराव ने नाट्य कृति ‘तृतीय रत्न’ को तत्कालीन समाज का दर्पण बनाकर प्रस्तुत किया है। इस रचना में कहीं अवसरानुकुल भावुकता, कहीं उत्तेजना, कहीं तर्क, कहीं व्यंग्य के मनोज्ञ उदहारण मिलते हैं ।

‘तृतीय रत्न’ की कथावस्तु अत्यंत सरल व संक्षिप्त हैं।घटनाएँ कम तथा पात्रों की संख्या आठ हैं, इसके पात्र हैं- स्त्री (जोगाई या जोगाबाई), स्त्री का पति, विदूषक, जोशी, दामू , जोशी की पत्नी, पादरी तथा मुसलमान।

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