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Brhamchari Dhanaram
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About BrahmdhamTirth

Through this app, you can get the updates of the world's second largest temple of Brahmaji while sitting at home. Which is located in Balotra, Rajasthan.
With this app, you can know the activities going on in the temple sitting at home. In this app you can see live aarti, photos of temple, any social activity, bhajan etc. Morning thoughts are sent daily by Brahmadham in the app, which you can download in the app. This thought can motivate and guide you and your family. Suvichar fills energy in your life.

You can also make donations to the temple through the app.

Through the app, you can connect with the All India Rajpurohit Institute. This institute is working in a pioneering way in the education of your society.

इस अप्प के माध्यम से आप विश्व का द्वितीय सबसे बड़ा ब्रह्माजी का मंदिर का अपडेट घर बैठे ही प्राप्त कर सकते है। जो कि राजस्थान के बालोतरा में इस्तिथ है.
इस अप्प से आप घर बैठे टेम्पल मैं चल रही गतिविधियों को जान सकते है। इस अप्प में आप लाइव आरती , फोटोज ऑफ़ टेम्पल, कोई भी सोशल एक्टिविटी, भजन आदि देख सकते है। अप्प मैं रोज ब्रह्मधाम के द्वारा सुबह सुविचार प्रेषित किया जाता है, जो आप अप्प मैं डाउनलोड क्र सकते है। ये सुविचार आपके एंड आपके परिवार को मोटीवेट और मर्गदर्सन कर सकता है। सुविचार आपकी लाइफ मैं एनर्जी भर देता है।

आप अप्प के माध्यम से टेम्पल मैं दान भी क्र सकते है।

अप्प के माध्यम से आप अखिल भारतीय राजपुरोहित सस्थान से जुड़ सकते है। यह सस्थान आपके समाज के शिक्षा मैं अग्रणी रूप से काम कर रहा है।

राजस्थान के बाड़मेर जिले के बालोतरा उपखण्ड मुख्यालय से 11 किमी दूर जालोर रोड़ पर स्थित श्री खेतेश्वर ब्रह्मधाम तीर्थ आसोतरा स्थित है। यहां विश्व का द्वितीय सबसे बड़ा ब्रह्माजी का मंदिर स्थित है। जबकि ब्रह्माजी के संग सावित्री जी प्रतिष्ठित है इस दृष्टि से यह विश्व का अद्वितीय मंदिर हैं ।

इस मंदिर का शिलान्यास परम् आराध्य संत श्री खेतारामजी महाराज के कर-कमलों द्वारा 20 अप्रेल 1961 को हुआ। लगातार 24 वर्षो तक निर्माण कार्य जारी रहा । इस अवधि में संत खेतारामजी महाराज ने गांव-गांव, ढाणी-ढाणी, विभिन्न प्रदेशों में प्रवास करके केवल राजपुरोहित समाज से ही अर्थ संग्रह किया और उस निधि को मंदिर निर्माण में लगाया।

ब्रह्माजी के मंदिर का कार्य पूर्ण होने पर दिनांक 6 मई 1984 को मंदिर गर्भगृह में ब्रह्माजी को सावित्रीजी के साथ बिराजित कर प्राण प्रतिष्ठा की। लाखों धर्मप्रेमी बन्धुओं की साक्षी में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ विधि विधान से भगवान ब्रह्माजी युगल रूप में स्थापित हुए।

मंदिर के प्रवेश पर दोनों तरफ गजराज है जिन पर इन्द्र और कुबेर अपने-अपने सारथियों के साथ बिराजित है। मंदिर के अंदर चारों ओर अष्टऋषियों की प्रतिमाएं भी है जो राजपुरोहित समाज के विभिन्न गोत्रों के प्रवर्तक है। मंदिर में प्रवेश करते ही बायें से क्रमश:

1.ब्रह्मर्षि उद्दालक 2. वशिष्ठ 3.कश्यप 4.परासर 5. गौतम 6.पिपलाद 7.शांडिल्य 8.भरद्वाज ऋषिगणों की प्रतिमाएं है।

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